शतभिषा नक्षत्र में शनि का प्रवेश (15 मार्च 2023): जानें राशि अनुसार प्रभाव!

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब किसी ग्रह से संबंधित भविष्यवाणी की जाती है तो उसमें नक्षत्रों की भी अहम भूमिका होती है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र हैं। प्रत्येक नक्षत्र को 4 पदों में बांटा गया है। प्रत्येक नक्षत्र का विस्तार 13.20 अंश तक होता है। नक्षत्र के एक पद की लंबाई लगभग 3.20 अंश होती है। नक्षत्र दो शब्दों से मिलकर बना है, नक्शा और तारा।
सभी 27 नक्षत्रों में से शतभिषा नक्षत्र को 24वां स्थान प्राप्त है। इस नक्षत्र की राशि कुंभ है, जिस पर शनि देव का आधिपत्य है। राहु महाराज शतभिषा नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शनि देव के साथ कुंभ राशि पर भी शासन करते हैं। यही वजह है कि शतभिषा नक्षत्र में शनि देव को काफ़ी सहज और सकारात्मक फलदायी माना जाता है। बता दें कि कुंभ राशि में शतभिषा नक्षत्र का विस्तार 6.40 अंश से लेकर 20 अंश तक होता है

शनि देव 15 मार्च 2023 की सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर शतभिषा नक्षत्र के प्रथम पद में प्रवेश करेंगे और 17 अक्टूबर 2023 की दोपहर 01 बजकर 37 मिनट तक इसी नक्षत्र में विराजमान रहेंगे। शतभिषा नक्षत्र में शनि देव की उपस्थिति के परिणामों की बात करें तो इसके लिए जातकों की कुंडली में शनि की स्थिति, जातक किस महादशा से गुज़र रहे हैं तथा वे किस लग्न में जन्मे हैं, यह सब देखना ज़रूरी होगा। इतना सब जानने के बाद यदि आप शतभिषा नक्षत्र में शनि के प्रभाव जानने के लिए उत्सुक हैं तो एस्ट्रोबायसाधक के इस विशेष ब्लॉग को आख़िरी तक ज़रूर पढ़ें।

शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातकों की विशेषता
शतभिषा नक्षत्र में स्थित शनि सेल्फ केयर, हीलिंग, मेडिसिन आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातक महान हीलर और मेडिकल अभ्यर्थी होते हैं।
ये लोग स्वभाव से शांत तथा तेज़ दिमाग़ वाले होते हैं। साथ ही इनका व्यक्तित्व स्थिर होता है।शतभिषा नक्षत्र में जन्मे लोग दूसरों की सेवा करने व पूर्ण रूप ठीक करने के लिए टेक्नोलॉजी का भरपूर प्रयोग करते हैं।लोगों से जुड़ने या यूं कहें कि लोगों तक पहुंचने के लिए ये लोग वेबसाइट, ऐप एवं अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म डेवलप करने में माहिर होते हैं।
जो लोग रेकी हीलिंग, प्राणिक हीलिंग, मेडिटेशन प्रेक्टिशनर और एनिमल कम्युनिकेटर आदि क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं, उनमें से ज़्यादातर लोगों की कुंडली में शनि देव शतभिषा नक्षत्र में होते हैं।
शतभिषा नक्षत्र शनि ग्रह की तरह ही काम करता है। यही वजह है कि शतभिषा नक्षत्र में शनि की स्थिति के कारण जातकों के जीवन में देरी, दृढ़ता, कड़ी मेहनत और निराशा आने के योग बनते हैं।

ज्योतिष में शतभिषा नक्षत्र
राहु द्वारा शासित शतभिषा नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में से 24वां स्थान प्राप्त है। कुंभ राशि में इसका विस्तार 6.40 अंश से 20 अंश तक होता है। यह नक्षत्र रेकी हीलिंग, प्राणिक हीलिंग, मेडिटेशन और योग का प्रतिनिधित्व करता है। इसका संबंध समुद्री या जलीय जीवन से पाया जाता है। तेज़ गति और स्थिरता इसके गुण हैं। वैदिक ज्योतिष में यह सभी ऊर्ध्व मुख नक्षत्रों में से एक है। शतभिषा नक्षत्र को महल, अभिषेक/राज तिलक/राज्याभिषेक, बाउंड्री एवं चारदीवारी से संबंधित प्रोजेक्ट शुरू करने एवं पूरा करने के लिए अनुकूल माना जाता है।
शतभिषा नक्षत्र में स्थित शनि के प्रभावों की भविष्यवाणी करने के लिए कुंडली में शनि और राहु की स्थिति, भावों पर उनके स्वामित्व एवं उनके स्वभाव का विश्लेषण करना ज़रूरी है। तो आइए सबसे पहले संक्षेप में इन दोनों ग्रहों के बारे में जान लेते हैं।

शतभिषा नक्षत्र में शनि: सामान्य व्याख्या
शतभिषा नक्षत्र में शनि की स्थिति अनुकूल है क्योंकि शनि राहु के नक्षत्र में हैं और शतभिषा नक्षत्र शनि की स्वराशि में है।
शतभिषा नक्षत्र को हीलर, हीलिंग, टेक्नोलॉजी, स्थिरता और हेल्थकेयर का नक्षत्र माना जाता है।
शतभिषा नक्षत्र में स्थित शनि वाले लोगों में सेवा भाव बहुत होता है। ऐसे लोग मानवता के लिए काम करना ज़्यादा पसंद करते हैं।
यदि शनि देव स्वराशि कुंभ में शतभिषा नक्षत्र में स्थित हों तो ऐसे लोगों को सेवा करने से भी अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। यहां तक कि उनकी आर्थिक स्थिति में स्थिरता आ जाती है। विशेष रूप से जब सेवा हेल्थकेयर, हीलिंग या मेडिसिन से संबंधित हो।
शतभिषा नक्षत्र में शनि के शुभ परिणाम कड़ी मेहनत और लगन के बाद थोड़ी देरी से मिल सकते हैं।
संबंधों के लिहाज से देखा जाए तो यदि शनि देव शतभिषा नक्षत्र में स्थित होकर सप्तम, पंचम या एकादश भाव से किसी भी तरह से जुड़े हों तो ऐसे रिश्ते लंबे समय तक चलते हैं। हालांकि संबंधों में उतार-चढ़ाव आने की संभावना बन सकती है।
शतभिषा नक्षत्र में स्थित शनि वाले लोगों की रुचि ज्योतिष, रहस्य विज्ञान एवं अन्य मनोगत विज्ञान की तरफ़ हो सकती है।

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